Last modified on 25 दिसम्बर 2015, at 01:02

बरसात न दोगे / कमलेश द्विवेदी

क्या हाथों में हाथ न दोगे?
जीने के जज़्बात न दोगे?

मात अगर अबकी भी खा लूं,
आगे से फिर मात न दोगे?

जिसमे हम दोनों ही भीगें,
वो बरसाती रात न दोगे?

यादों के संग ही रह लूं मैं,
इतना भी संग-साथ न दोगे?

दिल न दिया है दर्द ही दे दो,
कोई भी सौगात न दोगे?

अच्छा बस ये वादा कर लो-
आँखों को बरसात न दोगे.