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बरसात हो रही है / अर्चना लार्क

बरसात हो रही है
तुम भीग रही हो

लो बिखर गए न पन्ने
एक तस्वीर जो अटक गई है छज्जे पर
धीरे से उतारना
उसके कोने में बची है तुम्हारी स्मित हंसी
वो पंक्ति भी जिसमें तुम प्रेम में ही शर्त नहीं रखतीं
जीवन के फलसफे भी ख़ुद तय करती हो

तुम ख़ुद को पसंद करती हो
तुम्हारा स्वाद बचा रह गया है
उसे सहेज लो

सुनो इस बार भविष्य की ओर पीठ न करना
तह कर लो सब सामान
अगली बरसात जल्द ही होगी ।