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बरसों बाद / विजय बहादुर सिंह

बरसों बाद बैठे हम इतने
क़रीब
बरसों बाद फूटी आत्मा से
वही जानी-पहचानी सुवास
बरसों बाद हुए हम
धरती हवा आग पानी
आकाश...