Last modified on 1 अक्टूबर 2010, at 10:00

बर्फ़ / फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का

तारें हो रहे हैं बेपर्द

झरते हैं पठारों पर सितारों के लिबास
ज़रूर आएंगे तीर्थयात्री
और खोजेंगे
आर्तनाद

कल के बुझे हुए अलाव

अनुवाद : गुलशेर खान शानी