बर्फ़ गिरती है बर्फ़ बन कर
और मेरी अँगीठी से हियासिंथ की ख़ुशबू उठती है
बर्फ़ गिरती है रात बन कर
और मुझ में से झाँकती है उदासी
बर्फ़ गिरती है मेरे भीतर बर्फ़ बन कर
और मेरी घड़ियाँ गिरती हैं
मुस्तकबिल दे
कफ़न में
शब्दार्थ:
हियासिंथ: सुम्बुल
अनुवाद : विष्णु खरे