बंद कर दो टीवी और म्यूज़िक सिस्टम
खिड़ियों से मत झांको
निकलो बाहर
अपने उग्र और गर्म दिमाग़ों,
निस्तेज और सुस्त शरीरों से
अपनी लाचारियों और पशेमानियों से
अपने कृत्रिम और मायावी संसार से
सिर्फ़ घर के अंदर खड़े हुए मत मुस्कुराओ
बंद कर दो ये वीडियो रिकॉर्डिंग,
ख़ुशफ़हमी में मत आज़माओ फोटोग्राफी के नए-नए ऐप,
जऱा नीचे उतरो
आकर देखो
अपनी दृष्टि की प्यास दूर करो
महसूस करो इसे अपनी गहराइयों से
सर्वत्र पसरा ये उजाला मिटा देगा
तुम्हारे अंदर पसरा अंधेरा,
सांसों में भर लो ये ठंडक
ताकि तुम्हारा उबाल शांत हो,
अपने मन- मस्तिष्क पर ये सुंदर चित्रकारी होने दो,
देखो,
दैवीय बारिश नहीं होती रोज़
ये अलहदा और अपूर्व है
हर शय को गले लगाते
ये सिर्फ़ झक्क सफ़ेद बादल के
बिखरे हुए टुकड़े नहीं
स्वर्ग से गिरे हर्फ़ हैं
आओ, इन्हें इकट्ठा करें
और बना लें
अपने-अपने लिए भाषा के घर।