दिन बळै
आस पळै
बण फोहा रूई रा
बादळ ढळै
पत्ता हालै
चरचा चालै
आभो साम्हीं
चारूं कानीं
पड़ती छांटां
जमती रेत
हळ बैवता
बणग्या खेत
आस रा पग मोटा
डिग भरै-भरै कोठा
पण आस टूटै
सुख खूटै
सूकै खेत
बळता ओरण.!
बैरण चाली...
जद नागौरण.!!
दिन बळै
आस पळै
बण फोहा रूई रा
बादळ ढळै
पत्ता हालै
चरचा चालै
आभो साम्हीं
चारूं कानीं
पड़ती छांटां
जमती रेत
हळ बैवता
बणग्या खेत
आस रा पग मोटा
डिग भरै-भरै कोठा
पण आस टूटै
सुख खूटै
सूकै खेत
बळता ओरण.!
बैरण चाली...
जद नागौरण.!!