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बसंत / बलबीर राणा 'अडिग'

मैंन वेखुणि धार-धारों बटिन
सुरक सुरक आणू देखि।

बण-बूट डोखरी पुंगड़ी
लता गता नयुं मौल्यार
गाड़ गदना उंदार उकाळ
चों तरफ़ा फूली फुल्यार

मैन वेखुणि फ्योंली दगड़
हैंसदी हैंसदी लंपसार देखि।

आमक डाळी बोरेग्ये
आड़ू खुमानी झकमककार
ग्यूं की सारी पिंगळी लयाँ
बांज दगड़ बुरांस कु प्यार

मैन वेखुणि हिंलास दगड़
खुदेड़ गीत गाणी देखि।

लाल पिंगळु रग़ंबिरंगू
धरती कु यु कनु शृंगार
घुघुती कफ्यू चखुली चखुला
डाल्यों डाल्यों करदा खिल्वार

मैंन वेखुणि कोयल दगड़
मिठ्ठी भौंण मिलाणी देखि

चैती गीत गोँ ख्वाला
चांचड़ी झुमैलो रात अधरात
थड़िया चोंफुला चौक चौबारा
मर्द जनानियूं कु हाथ म हाथ

मैंन वेखुणि घस्येरियों दगड़
माया का गीत लगाणी देखि।