Last modified on 5 अप्रैल 2017, at 17:46

बसंत गीत-2 / राजकुमार

साँसों में मलय बयार पलै
सजनी में सौ शृंगार पलै
पायल के रुनझुन में मताल
अल्हड़पन में कचनार पलै
साँसों मंे मलय बयार पलै

तन में पलास मन में हुलास
घिरलोॅ बसंत सें छै बतास
भरलोॅ सुवास छै आसपास
रति में यति के रतनार पलै
साँसों में मलय बयार पलै

छै अंग-अंग मधु सें मतंग
छै भ्रमित भंग पीबी अनंग
आँखीं में अजगुत राग-रंग
कली में अलि के गुँजार पलै
साँसों में मलय बयार पलै

मंजर सें आकुल छै उमंग
तन-मन मधुमासोॅ में तुरंग
चुनरी-चुनरी छै तंग-तंग
कोंपल-कोंपल कंसार पलै
साँसों में मलय बयार पलै