कालेज जाके तैहा संगी, बहनी एक बनाले
हो जाही पढ़हाई सफल, इही गीत ल गाले
दोसती यारी उलझाही, पिच्चर तोला देखाही
मोबाईल म गोठ कर-करके रोज तोला घुमाही
जिनगी म का रखे हे यार, कहिके समझाही
बिड़ी सिकरेट दारु बीयर पहली सब सिखाही
इहीच बिगड़े के पहली रद्दा, एकरे ले दूरिहाले
उमर होथे लटर-पटर के, कालेज ओही कहाए
20-21 के उमर होथे, गोड़ तरी बिच्छल आए
खिचाव-तिराव म जाए मन, रखव ग समझाए
पढ़हाई बेरा एकेचबार आथे, एला झीन भुलाए
मटरगस्ती बर उमर पड़ेहे, मन ला संगी मनाले
कम्पटीसन हे गलफरेन्ड बर सबो हे झोरसाय
खुद ल हीरो देखाय खातिर करत सकल उपाय
झन मिलय फारम खुदबर, ओकर बर भिड़ाय
पढ़हाई के आधा बेरा इसने बुता म निकल जाय
सुन ले भाई मलरिहा गोठ, अपन माथा म घुसाले
दाई-ददा ह बुढ़वा होगे, थोरकुन तैहां बिचारले
बेरा निकलत दउड़त भागत, सही काम म लगाले
पास होए म का धरे हे परसेन्ट ल घलो सुधार ले
गरीब के बेटा हवच रे, पढ़ाई-गढ़ाई दुनो ल धरले
नऊकरी बर भीड़ लगे हे, लाखों म जघा बनाले