कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है
सुबह सास की झिड़की बदन झिंझोड़ जगाती है,
और ननद की जली-कटी नश्तरें चुभाती है,
पूज्य ससुर की आँखों की बढ़ गई खुमारी है ।
कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।।
नहीं हाथ में मेंहदी, झाडू, चूल्हा-चौका है,
देवर रहा तलाश निगल जाने का मौक़ा है,
और जेठ की जिह्वा पर भी रखी दुधारी है ।
कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।।
पति परमेश्वर सिर्फ चाहता, खाना गोश्त गरम,
और पड़ोसिन के घर लेती है अफ़वाह जनम,
करमजली होती शायद दुखियारी नारी है ।
कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।।
कई लाख लेकर भी गया बनाया दासी है,
और लिखी क़िस्मत में शायद गहन उदासी है,
नहीं सहूँगी अब दुख की भर गई तगारी है।
कुशल-क्षेम से पिया-गेह में बहन तुम्हारी है ।।