दीवारों ने सुन ली,
तारों ने भी सुन ली,
केवल तुमने नहीं सुनी
मेरे मन की बात;
आख़िर
तुम ठहरे
जन्मों के बहरे !
दीवारों ने सुन ली,
तारों ने भी सुन ली,
केवल तुमने नहीं सुनी
मेरे मन की बात;
आख़िर
तुम ठहरे
जन्मों के बहरे !