बहलै बसंती बयार, मनमा में उठलै हिलोर॥टेक॥
अंग-अंग फड़कै है, हुनको यादोॅ सतावै छै
चिठियोॅ नै भेजै चितचोर।
कहि-कहि जाय छै, जायकेॅ भूलि जाय छै
तनिकोॅ न लै छै सुधि मोर।
अबकी जे ऐतै सखि हुनका जाभौ नै देवै
करवै विनय करजोर।
बहलै बसंती बयार, मनमा में उठलै हिलोर॥टेक॥
अंग-अंग फड़कै है, हुनको यादोॅ सतावै छै
चिठियोॅ नै भेजै चितचोर।
कहि-कहि जाय छै, जायकेॅ भूलि जाय छै
तनिकोॅ न लै छै सुधि मोर।
अबकी जे ऐतै सखि हुनका जाभौ नै देवै
करवै विनय करजोर।