बहुत दिनों से
बंद पड़ा है यह दरवाज़ा
इसे खोलना होगा, साधो
इसके पार बड़ा आँगन है
पुरखों के बनवाये घर का
वहीं पाठ सीखा था पहला
हमने कल ढाई आखर का
एक आरती का दीया था
बड़ा पुराना
उसे खोजना होगा, साधो
आँगन में ही
हरसिंगार-नींबू-अनार के
पेड़ लगे थे
तब तितली-गौरैया-तोते
दुनिया भर से अधिक सगे थे
इधर क्यों नहीं
वे आ पाये जो थे अपने
सुनो, सोचना होगा, साधो
नये वक्त के चतुर जमूरे ने
सपने हमको दिखलाये
द्वार बंद कर
उसने हमको
दिये गुंबदों के ये साये
द्वार खोलने की खातिर भी
पिछले युग का
मंत्र बोलना होगा, साधो