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बहुत पीछे / नरेश अग्रवाल

सारी बुराइयाँ जुड़ना चाहती हैं हमसे
उसी तरह जैसे ये सारी अच्छाइयाँ
और जब अच्छाइयों का आधिक्य हो हममें,
दौड़ते से पाँव दिखते हैं चलने पर भी
और छूट जाती हैं
बुराइयाँ बहुत पीछे ।