बहुत सुन्दर सुबह है
हर वृक्ष पर पत्ता नया है
हर पात पर रंग कैसा
हरा है
दस भाँत का है, देख लो
रंग भी हरा यह:
इस हरे में
तनिक-सा
सोना मिला है
इस हरे में
कूट कर
ताम्बा भरा है
यह हरा ज्यों-
हाथ
मेहँदी से रचा है
इस हरे की तो
कहूँ मैं
बात क्या-
ज्यों कटा मरकत
धरा पर
धूप में
पूरा बिछा है
शायद प्रभु मेरे ने
हँस फिर गौरा से कहा है-
सहस्र नामम् तत् तुल्यम
राम नाम वरानने!