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बहुत हुआ-1 / सुधीर मोता

कभी न कहना
बहुत हुआ

जो जितना हो जाता है
वह सदा मध्य है
कुछ होने से
कुछ होने का
सदा शेष रह जाता है
कभी न होता
बहुत हुआ।