कभी न कहना
बहुत हुआ
जो जितना हो जाता है
वह सदा मध्य है
कुछ होने से
कुछ होने का
सदा शेष रह जाता है
कभी न होता
बहुत हुआ।
कभी न कहना
बहुत हुआ
जो जितना हो जाता है
वह सदा मध्य है
कुछ होने से
कुछ होने का
सदा शेष रह जाता है
कभी न होता
बहुत हुआ।