बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
बाँके बजैं पैजनाँ धुनके।
परे पगन में उनके।
सुन तन रौम-रौम कड़ आवत,
धीरज रहत ना तनके।
खेलत फिरत गैल खोरन मेंख
सुर मुख्त्यार मदन के।
करने जोंग लोग कुछनाते,
लुट गये बालापन के
ईसुर कौन कसायन डारे,
जे ककरा कसकन के।