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बांका रहिए जगत में / हरियाणवी
चर्चा
हरियाणवी लोकगीत
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रचनाकार:
अज्ञात
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बांका रहिए जगत में बांके का ही आदर होय।
बांकी बन की लाकड़ी काट सके ना कोय।।