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बांसुरी / प्रेमजी प्रेम

बोल बांसुरी बोल
तुम्हारे बोलने से ही
लोग जानते हैं
पहचानते हैं
कि मैं कौन हूं !

मेरे मरणोपरांत भी
इसी तरह बोलती रहना
उतारती रहना
लोगों के मनों में
मेरी बात ।

लोगों का तो स्वभाव है-
भूलना ।

वे भूल नहीं जाए मेरी बात
तुम बोलती रहना
युगों युगान्तर तक
जिस से कि सभी लोग जान जाए
कि किसी के मरने से
मरती नहीं बात ।

जान जाए-
कि ब्रह्म हैं शब्द !

अनुवाद : नीरज दइया