बाक़ी रहा न मैं, न ग़मे रोज़गार मेरे।
अब सिर्फ़ तू ही तू है परवरदिगार मेरे।
यारब, हैं सर पर आने को कौन-सी बलाएँ?
क्यूँ आज मेरी क़िस्मत है साज़गार मेरे।
बरसेगी और तुझपे–उनके करम की बदली,
तेरा कहाँ मुक़द्दर दिले-रेगज़ार मेरे।
सजदे में सर किया है जिसने क़लम हमारा,
दे उम्रे-खिज्र उसको ऐ कर्दगार मेरे।
इक ज़िंदगी की बाज़ी थी हुस्न के मुकाबिल,
सो वह भी हार बैठा दिले-बदक़िमार मेरे।
हैं आज हसरतों के वहीँ पर मज़ार यारो,
कल तक जहाँ हरे थे ये चमनज़ार मेरे।
ये खज़ाना-ऐ-ग़म मेरा तुझको कहाँ है हासिल,
तू भला है मुझसे माना ऐ इख्तियार मेरे।
मेरे तसव्वुरात से गर वह नहीं हैं गुज़रे,
फिर क्यूँ दिलो-ज़हन हैं यूँ मुश्कबार मेरे।
जिनके करम से दिल है यूँ दाग़-दाग़ अपना,
क्या कहिये कभी वह ही थे ग़मगुसार मेरे।
दमे-आख़िरी है उनको आना पड़ेगा "साबिर"
पिछले जनम के उनसे कुछ हैं क़रार मेरे।