बागेॅ रे बगिचबा कुहुके कोइलिया
धरती पेॅ बरसै अंगार!
आमेॅ महामोद करै गमकै दुपहरिया,
टपेॅ-टपेॅ चुऐ मधु-धारेॅ रे बगिचबा
धरती पेॅ बरसै अंगार!
गामऽ के बुतरुआ बतासऽ नहीं बूझै,
झुलबा लगावै डारे-डार रे बगिचबा,
धरती पेॅ बरसै अंगार!
सुतलऽ धोरैया पीपरऽ के छैयाँ,
भैंसिया पगुरावै छै बैठार रे बगिचवा,
धरती पेॅ बरसै अंगार!
अंकुरी भरलऽ डलिया शोभै पनसल्ला,
चुरु-चुरु खाढ़े पानी पीयै रे बटोहिया,
धरती पेॅ बरसै अंगार!