पैर नहीं थकते
आँखें थक जाती हैं
इस बाज़ार में
बच्चों की तरह
उँगली पकड़कर
साथ चलते हैं सपने
और फिर गुम जाते हैं
रंग-बिरंगी ख़ुशबूदार भीड़ में
मैं सपने तलाशता हूँ
इस बाज़ार में
और फिर
पैर भी थकने लगते हैं ।
पैर नहीं थकते
आँखें थक जाती हैं
इस बाज़ार में
बच्चों की तरह
उँगली पकड़कर
साथ चलते हैं सपने
और फिर गुम जाते हैं
रंग-बिरंगी ख़ुशबूदार भीड़ में
मैं सपने तलाशता हूँ
इस बाज़ार में
और फिर
पैर भी थकने लगते हैं ।