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बाजे बजे चली बारात / कमलेश द्विवेदी

अंशू की गुड़िया कि शादी रिक्की के गुड्डे के साथ।
बाजे बजे चली बारात-बाजे बजे चली बारात।

दूल्हा बनकर गुड्डे राजा,
बैठे घोड़ी के ऊपर।
बाँधे हैं तलवार कमर में,
सुंदर पगड़ी है सिर पर।
गुड्डे राजा सुंदरता में सबको ही करते हैं मात।
बाजे बजे चली बारात-बाजे बजे चली बारात।
 
गुड़िया रानी बहुत सयानी,
लहँगा-चुन्नी पहने हैं।
ऊपर से नीचे तक तन पर,
जाने कितने गहने हैं।
सोने की बिंदिया से चमके चम-चम-चम गुड़िया का माथ।
बाजे बजे चली बारात-बाजे बजे चली बारात।

गुड्डा-गुड़िया एक-दूसरे,
को माला पहनाते हैं।
गुंजा-शैली-पिंकी-लक्की,
ताली सभी बजाते हैं।
फिर गुड्डे-गुड़िया के ऊपर करते फूलों की बरसात।
बाजे बजे चली बारात-बाजे बजे चली बारात।