बाढ़ आई
धरती का सीना तर हुआ
वह कंपकंपाई, थरथराई
फिर भी चुप रही
उसके तहलके का शोर
तुम्हारी आवाज में शामिल हुआ
तब,
जब पानी
तुम्हारे पाँव गीले कर गया!
बाढ़ आई
धरती का सीना तर हुआ
वह कंपकंपाई, थरथराई
फिर भी चुप रही
उसके तहलके का शोर
तुम्हारी आवाज में शामिल हुआ
तब,
जब पानी
तुम्हारे पाँव गीले कर गया!