Last modified on 29 जुलाई 2009, at 18:59

बातैं लगाय सखान तें न्यारो कै / रघुनाथ

बातैं लगाय सखान तें न्यारो कै, आज गह्यो बृषभान किसोरी।
केसरि सों तन मज्जन कै, दियो अंजन ऑंखिन मैं बरजोरी॥

हे 'रघुनाथ कहा कहौं कौतुक, प्यारे गोपालै बनाय कै गोरी।
छोडि दियो इतनो कहि कै, बहुरौ इत आइयो खेलन होरी॥