ऊंचा उठा कुछ यान
तो देखा
फटा हो ज्यों
कोई ज्वालामुखी
लावा
अपनी ताकत से
तान के मुक्का
बढ़ रहा है ऊपर
तोड़ेगा शायद सत्ता
जो सदियों से बस
खामोश।
ऊंचा उठा कुछ यान
तो देखा
फटा हो ज्यों
कोई ज्वालामुखी
लावा
अपनी ताकत से
तान के मुक्का
बढ़ रहा है ऊपर
तोड़ेगा शायद सत्ता
जो सदियों से बस
खामोश।