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बादल / केदारनाथ अग्रवाल

बादल ने बदल दिया मौसम का रुतबा
पानी का व्याप गया
दुनिया में दबदबा
ऊपर को उमड़ चलीं नीचे की नदियाँ
टूटे पुल
टूट गई
टूक टूक सदियाँ

रचनाकाल: २४-०७-१९६९