Last modified on 31 दिसम्बर 2007, at 02:17

बाद मुद्दत उसे देखा / परवीन शाकिर

बाद मुद्दत उसे देखा, लोगो
वो ज़रा भी नहीं बदला, लोगो

खुश न था मुझसे बिछड़ कर वो भी
उसके चेहरे पे लिखा था लोगो

उसकी आँखें भी कहे देती थीं
रात भर वो भी न सोया, लोगो

अजनबी बन के जो गुजरा है अभी
था किसी वक़्त में अपना, लोगो

दोस्त तो खैर, कोई किस का है
उसने दुश्मन भी न समझा, लोगो

रात वो दर्द मेरे दिल में उठा
सुबह तक चैन न आया, लोगो