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बापू / कन्हैया लाल सेठिया

आभै में उड़ता खग थमग्या
गेलै में बैंता पग ठमग्या
हाको सो फूट्यो धरती पर
बै कुण गमग्या, बै कुण गमग्या ?

ओ मिनख मरयो’क मरयो पाखी ?
सै साथै नाड़ कियां नाखी ?
बा सिर कूटै है हिंदुआणी
बा झुर झुर रोवै तुरकाणी !

इसड़ो कुण सजन सनेही हो
सगळां रा हिवड़ा डगमग्या !
बै कुण गमग्या, बै कुण गमग्या ?

मिनखां रो रूळग्यो मिनख पणो
देवां री मिटगी संकळाई ,
बापूजी सुरग सिधार गया
हूणी रै आडी के आई ?

जीऊंला सौ’र पचीस बरस
बिसवास दिरा’र किंया ठगग्या ?
गिगनार पड़ै लो अब नीचै
सतवादी वचनां स्यूं डिगग्या,
बै कुण गमग्या, बै कुण गमग्या ?

बापू सा मिनखा देही में
धरती पर मिनख नहीं आया,
आगै री पीढ्यां पूछै ली-
के इस्या नखतरी जुग जाया ?

ई एक जोत रै पळकै स्यूं
इतिहास सदा नै जगमगग्या
ईं एक मौत रै मोकै पर
सगळां रा आंसू रळ मिलग्या,
बै कुण गमग्या, बै कुण गमग्या ?