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बापू / रामेश्‍वर गोदारा ग्रामीण

हरेक बारी
बिजाई माथै
बापू री आंख्यां मांय तिरैं हैं
जळमुरगाई
पण खळां ताईं आवता-आवता
गूची मार जावैं हैं
जळमुरगाई
अर
बापू हरेक बारी
जा थमैं हैं
दौ पग पाछै ।