ऋण को
ऋण से भरते
मूंज हुए केश,
अपनी
तक़दीर रहन
उनके आदेश ।
ग़ुरबत की
हथकड़ियाँ
बचपन में पहना दीं,
हमको
बन्धक सपने
उनको दी आज़ादी,
उनको
सब राज-पाट
हम तो दरवेश ।
राम भजो
रामराज
समतामूलक समाज,
पातुरिया
राजनीति
ऊखट सत्ताधिराज,
चिथड़ा
चिथड़ा सुराज
बापू के देश।
(कादम्बिनी, जनवरी, 1962)