Last modified on 17 मई 2011, at 20:37

बाबरी मस्जिद के नाम / रेशमा हिंगोरानी

कभी आदम से जो इन्सान हुआ,
आज इन्सान से हैवान हुआ...

«»«»«»«»«»«»

हैं पयम्बर उसी परवरदिगार के जो सभी,
तेरा अल्लाह, मेरे राम से बेहतर क्यूँ है?
जो फ़र्क़ दैर-ओ-हरम में न वाकई कोई,
है घर जो राम का, अल्लाह का न घर क्यूँ है?

(दैर-ओ-हरम - पूजा की जगह, मंदिर / मस्जिद)

«»«»«»«»«»«»

अगर वो होता वाक़ई मक़ीने-बुतख़ाना,
क्या अपने आशियाँ को यूँ ही जलाने देता?

(मक़ीने-बुतख़ाना - पूजा की जगह में रहनेवाला; आशियाँ - घर)

«»«»«»«»«»«»

नाव कागज़ की लिए नाख़ुदा तलाश रहे हो?
ये पत्थरों में कहाँ तुम ख़ुदा तलाश रहे हो?
औ' अगर वाक़ई मक़ीने-संगे-मर्मर है,
तो खंजरों से काहे उसका बुत तराश रहे हो?

(नाख़ुदा - कश्ती को चलाने वाला; मक़ीने-संगे-मर्मर - संगे-मर्मर में रहनेवाला - ख़ुदा से मक्सद है क्योंकि पूजा के घर अक्सर संगे-मर्मर से बनते हैं)

«»«»«»«»«»«»