चानन नदी किनारे बसलै
जय बाबा जेठौर हो
सबकेॅ मिलै छै ठौर हो। सबकेॅ ...
अंग देश एक भाग कहाबै
यक्ष जठर के नाम धराबै
बड़ा बंग एक दिन ई छेलै
ज्येष्ठ गौड़ हौ गौर हो।
सबकेॅ मिलै ...
गाछ-वृक्ष जंगल सें घिरलोॅ
नदी-पहाड़ झरना सें सजलोॅ
बम-बम शिव-शिव के बोलोॅ सें
गूंजै पर्वत-चौर हो।
सबकेॅ मिलै ...
मंद्राचल मंदार कहाबै
अंग देश के भाग जगाबै
कृष्ण कर्ण के चिता सजाय केॅ
देलकै मोक्ष केॅ बोॅर हो।
सबकॅे मिलै ...
विश्वामित्र, वशिष्ट के धरती
कंचन सें कम नै छै परती
मनोकामना धाम यही तेॅ
महमह मुक्ति मौर हो।
सबकेॅ मिलै ...।
चानन नदी के खलखल धारा
लागै जेन्हौ कि अमृत सारा
कहै ‘धनंजय’ अंग देश सें
जहियौ बाबा घोॅर हो।
सबकेॅ मिलै ...।