बाबुल ब्याह हो जाएगा
मोहे बेच के पाप कमाइयो न
जिस द्वार पे लोभी रहता हो
तू अपना माथ झुकाइयो न ...
तोरी बिटिया डरी कब दुख से रे बाबुल
बोली नहीं कुछ भी मुख से रे बाबुल
अब जिनगी को जिनगी बनाइयो
अपने ही हाथ मिटाइयो न ...
पढ़-लिख हाट में बिकने को आवै जो बाबुल
पैसे की अग्नि में मन को जलावै जो बाबुल
जिनगी के सिक्के बनावै जो
उनके हाथ में हाथ थमाइयो न ...
मैं हूँ बोझ धरा का न तोरी छाती का रे बाबुल
एक आखर हूँ तोरे मन की पाती का रे बाबुल
मैं तोरी डाल की गन्ध
हवा की क़ैद से मुझको उड़ाइयो न ...