Last modified on 14 जुलाई 2014, at 23:19

बारिश / कमला दास

अपने प्यारे कुत्ते की मौत और उसकी अंत्येष्टि के बाद
हमने छोड़ दिया वह पुराना बेकार-सा घर
दो बार खिल चुके गुलाब के पौधे को उखाड़ लिया जड़ों से
और क़िताबें, कपड़े तथा कुर्सियाँ लादे
तुरत निकल आए वहाँ से

अब हम एक नए घर में रहते हैं
छतें नहीं टपकती यहाँ
लेकिन जब बारिश होती है
मैं सुनती हूँ बूँदों की आवाज़

और देखती हूँ
वह पुराना चूता हुआ ख़ाली घर
जहाँ मेरा प्यारा कुत्ता
सोया हुआ है अकेला