कानों में इतराय कामिनी बाली सोने की
गालों पर इठलाय मानिनी बाली सोने की
साँझ सकारे किसे पुकारे वंशी मधुबन में
प्राणों में भर जाय रागिनी बाली सोने की
जगे प्रेम की पीर खुमारी आँखों में छाए
डँसे देह कलपाय यामिनी बाली सोने की
अभी खनक सुनकर चौंका था तुलसी का बिरवा
चली गई बलखाय भामिनी बाली सोने की
महँदी बेंदी चुनरी कजरा गजरा फूलों का
किस पर यह गिर जाय दामिनी बाली सोने की