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बाल्मीकि / ओम प्रकाश सेमवाल

बाल्मीकि छा कुटिल अभागी,
ज्वानि तलक कवि हृदय नि जागी।
जनि सुमिरे दिवा राम को बाळी,
"रामायण"अद्भुत रंचि डाळी।।