राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पूछे म्हारा राय बना सा री माया, आज बिंदोरो कोने नूतियो जी।
सूरज जी रे राणा दे छै नार, तो आज बिंदोरो वेही नूतियो जी।
चन्दरमाजी रे चानणा दे छै नार, तो आज बिन्दोरो वेही नूतियो।
ईसरजी रे गवरा दे छै नार, तो आज बिन्दोरो वेही नूतियो।
बिनायकजी रे रिद्ध सिद्ध छै नार, तो आज बिन्दोरो वेही नूतियो।
जीमो म्हारा बनड़ा चांवलिया रो भात, तो ऊपर जीमो लापसी जी।
पिवो म्हारा बनड़ा भेसडल्या रो दूध, तो ऊपर पतासा घोलता जी।
चाबो म्हारा बनड़ा नागर बिड़ला पान, तो ऊपर चाबो डोडा इलायची जी।
बनड़ो म्हारो सांवरिया रो मेघ, के बनड़ी आभा बिजली जी।
बरसण लाग्यो सावणिया रो मेघ, कि चमकण लागी बिजली जी।