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बिचौलिया / कन्हैया लाल सेठिया

फिरै
बिनां पग
आंख,

सूंघै
ठौड बैठो
नाक,

सुणै
जग्यां ऊभा
कान,

कोनी करै

थूल किरिया,

संचरै
आं पाण
बिरम मन !