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जब आया था
ओस की गंध से महक रहे थे रास्ते
आते-जाते वक़्त
गिरी ओस के साथ रास्ते बन गए हैं समाधि
क्या छोड़ आया वहाँ
प्रेम या घृणा
क्या ले आया
मीठा या कड़वा
इस लेन-देन के खेल में
जेब में बचे कुछ सिक्के
पूछना न कभी
जन्म से ही चलते इस खेल तोड़ने के खेल के बारे में।
मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार