बिछुरे मग जाती सँघाती मिली चख चाति कै धार सवाती मिली ।
रसना जड़ की सरसाती मिली चित सूम को सोन की थाती मिली ।
जड़ बूड़ति नाव सोहाती मिली बिरहा कतलान की काती मिली ।
कहि तोष सबै सुख पाती मिली सजनी पियपानि की पाती मिली ।
तोष का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।