बिना तेल बिन बाती
जीवरा जारी दिन राति
जीनगी अंधियार लगे रे
बिन बरसा चुहय
आंखी के ओरवाति |
विधाता तोर महिमा, अपरमपार लागे रे
बुड़ मरे जनता,
नेता मांगे नहकाई
सरम चढ़े महंगाई, दुखिया सब संसार लागे रे
बिना तेल बिन बाती
जीवरा जारी दिन राति
जीनगी अंधियार लगे रे
बिन बरसा चुहय
आंखी के ओरवाति |
विधाता तोर महिमा, अपरमपार लागे रे
बुड़ मरे जनता,
नेता मांगे नहकाई
सरम चढ़े महंगाई, दुखिया सब संसार लागे रे