बियाबान जंगल में
सालों भटकने के बाद
मुझे वह पेड़ मिल ही गया
जिस पर
मुक्ति का फूल
खिलता है
उफ
यह अकेला फूल
किस कदर
सम्मोहक है
इसकी खुषबू
कभी
खतम नहीं होती
यह मुरझाता भी नहीं
इसके चारों ओर
सुनहरा पीला प्रकाश
बिखरा रहता है
अंधेरे में भी
नन्हे दीये - सा
टिमटिमाता है
इसकी रोशनी से
मन में
उजाला है मेरे