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बियोग / आर० इशरी 'अरशद'

लेहो जी भोले बाबा गंगा जल लेहो
हरहो जी भोले बाबा हरहो बियोग
हम जानी काहे तूं भंगिया चढ़उला
हम जानी काहे तूं धथुरा सजउला
हम जानी काहे तूं प्रेतबा बोलउला
हम जानी काहे तूं नगिया लटकउला
लेहो जी भोले बाबा गंगा जल लेहो
हरहो जी भोले बाबा हरहो बियोग
हम जानी काहे तूं जटवा फइलउला
हम जानी काहे तूं चंदिया जड़उला
हम जानी काहे तूं बसहा बैठउला
हम जानी काहे तूं गंगिया पसरउला
लेहो जी भोले बाबा गंगा जल लेहो
हरहो जी भोले बाबा हरहो बियोग
हम जानी काहे तूं त्रिशूल गड़उला
हम जानी काहे तूं कमण्डल लटकउला
हम जानी काहे तूं शंख फुकउला
हम जानी काहे तूं लिंगवा बैठउला
लेहो जी भोले बाबा गंगा जल लेहो
हरहो जी भोले बाबा हरहो बियोग
अब नहीं गंगे अलगे रहतो
भरत के र गंगे संगे रहतो
देवन के र गंगे जटा लिपटइतो
पर्वत कैलाश बिभोर होइ जइतो
लेहो जी भोले बाबा गंगा जल लेहो
हरहो जी भोले बाबा हरहो बियोग
लंकापति तोहरे उठाई ले चलले
वृहद भैया हथवा पसारले
जाएव अब नञ अब नञ आगे
लंकापति भागल देवधर दुआरे
लेहो जी भोले बाबा गंगा जल लेहो
हरहो जी भोले बाबा हरहो बियोग
तखनी से अखनी तूहँऽ पियासत
हम काँवर भरि लइली गंगा जल
धुरी-धुरी आएब लाएब गंगा जल
इसरी के रखहो न अब तो पियासत
लेहो जी भोले बाबा गंगा जल लेहो
हरहो जी भोले बाबा हरहो बियोग