बिल्ली मौसी / भाऊराव महंत

बिल्ली मौसी–बिल्ली मौसी,
जब भी घर में आती।
दूध कहाँ है? सबसे पहले,
उसका पता लगाती॥

सूँघ रसोई के बर्तन को,
ताक-झाँक करती है।
अरे! अचानक मत आ जाए,
मम्मी से डरती है।।

दूध पतीले में रक्खा है,
पता लगे जैसे ही।
बिल्ली मौसी दूध हमारा,
पी जाती वैसे ही।।

जिसके कारण बिना दूध के,
हमको रहना पड़ता,
बरबस सब्जी का तीखापन,
तब-तब सहना पड़ता॥

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