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बिस्वास / प्रमोद कुमार शर्मा

सब्द
जद खौले है आंख्या
तो हुवै है मुसाफरी मांय
मुसाफरी मांय
कुण करै बिस्वास किणी रौ ?
अर साच्यांई
भासा स्यूं गायब हूग्यौ बिस्वास।