राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चून्दरी बहू राणादे ने बजाज हो ल्याओ ने कासब जी रा चावा चून्दड़ीजी।
फिरिया फिरिया गौरी देश विदेश हो,
कठै न ल्यादी, बाला चून्दड़ी जी।
जाइयो जाइयो म्हारे बाबाजी रे देश हो
जठै तो मिलै जी बाला चून्दड़ी जी।
ल्यादी ल्यादी जी सजनियां री हाट,
ओढ़ो ने भायां री बहना चून्दड़ी जी।