राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
रातां फूला चून्दड़ी कोई धोलाजी जायल रा फूल रातड़ल्या रंग चूंदड़ी।
घर आया सूरज जी पूछे है गोरी ये थाने बालो कूण।
बालपणा म्हारी माता प्यारी पाछे जी कोय जलहर बाप।
अपने पियारा लागे बीराजी कोई चौथोजी म्हारी भाभी रो साथ।
यां बातां सूं गौरी खारा लागो देस्यां ये थाने पिहर पहुंचाया।
पहला पियारा म्हारा सुसराजी लागे दूजा तो सासूजी ओ राज।
भर जोवन केसरिया प्यारा पाछे जी जणियोड़ो पूत।
या बाता सू गौरी प्यारा लागो थाने रख्स्यां म्हें हिवड़ा रो हार।