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बींठ (2) / सत्यनारायण सोनी

 
आओ,
इस बगीचे में खिले
फूलों की तारीफ से पहले
सलाम करें उसको
जो खाद बनी इनके लिए।
जिसके नाम मात्र से
नाक-भौं सिकोड़ते हैं हम,
उसी के दम पर तो
महक रही है
यह बगिया।

2005